तुम हमारे नहीं तो क्या ग़म है
हम तुम्हारे तो है ये भी क़्या कम है
हुस्न की शोख़ियाँ ज़रा देखो
गाहे शोला हैं गाहे 'शबनम' है
मुस्कुरा दो ज़रा खुदा के लिए
शम्म -ए -मेहफिल में रोशनी कम है
बन गया है ज़िन्दगी अब तो
तुझसे बढ़कर हमे तेरा ग़म है
- कँवर मोहिन्दर सिंह बेदी ( सहर )
( आज रिकॉर्ड की सुई इस ग़ज़ल पे आकर अटक गयी है जैसे )
हम तुम्हारे तो है ये भी क़्या कम है
हुस्न की शोख़ियाँ ज़रा देखो
गाहे शोला हैं गाहे 'शबनम' है
मुस्कुरा दो ज़रा खुदा के लिए
शम्म -ए -मेहफिल में रोशनी कम है
बन गया है ज़िन्दगी अब तो
तुझसे बढ़कर हमे तेरा ग़म है
- कँवर मोहिन्दर सिंह बेदी ( सहर )
( आज रिकॉर्ड की सुई इस ग़ज़ल पे आकर अटक गयी है जैसे )
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