Monday, September 2, 2013

दुनिया जाए तेल लेने


तेल ने दुनिया का तेल निकाल रक्खा है।  अमरीका तेल के लिये पैसा  बहा रहा है , सीरिया खून बहा रहा है और हमारा देश तेल के लिए आंसू बहा रहा है। फिनांस मिनिस्टर सुबह -शाम चीखे  जा रहे है की  हमारा  रूपया  तेल की चिकनाई से  फिसल -फिसल के पाकिस्तान के रूपए से भी ज़्यादा  फिसड्डी हो गया है   लेकिन फिर भी  पेट्रोल पंप गुलज़ार है  तेल के प्यासों से, और सड़के हलकान है गाडियो की कतारों  से। किसी को परवाह नहीं कि राजा भोज अब गंगू तेली बनने की कगार पर है। 

 आजकल  टीवी और अख़बारों  में इंडियन इकॉनमी के बारे में इतना कुछ आ रहा है कि मुझे लगता है कि अगर मै अपनी बिल्डिंग के चौकीदार से भी पूछूं तो शायद वो भी मुझे Non Deliverable Forward और Current Account Deficit पे भाषण दे डाले। कितने मज़े की बात है कि जिस बीमारी का इलाज़ हम सबको  पता है हम उसको और बढ़ाये जा रहे है। 4 लोग एक ही इमारत से रोज़ एक ही ऑफिस जाते है , लेकिन सब अपनी -अपनी अलग कार से, फिर ऑफिस में सब  मिलकर देश के बिगड़े इकनोमिक सिनेरियो  पर ग्रुप डिस्कशन करते है।  घर से चार कदम दूर सब्ज़ी मंडी तक कार से जाते है फिर सरकार को सब्जियों के बढ़ते दाम  के लिए कोसते है। 

अभी हिन्दू में एक सज्जन को पढ़ा , प्याज़ के आसमान छूते दामों पे लिखते है कि प्याज़ कोई ऑक्सीजन नहीं है जिसके बिना हम जिंदा नहीं रह सकते , अगर हमने एक महीने प्याज़ खाना बंद कर दिया तो गोदामों में  प्याज़ सड़ने लगेंगे और जमाखोरों को कीमतें कम करना ही पढेगी। कितना सरल उपाय है , और इतना सरल सा मार्केट  डायनामिक्स समझने के लिये आपको इकोनॉमिक्स में PG होना जरुरी नहीं , बस चिकन दो प्याज़ा को थोड़े दिन चिकन NO-प्याज़ा बनाइये और salad में प्याज़ की जगह खीरा खाइए , प्याज़ को अपनी औकात में आने में टाइम नहीं लगेगा  फिर।  ये अलग बात है कि कल मैंने खुद प्याज़ से लबरेज़ सब्ज़ी पकाई क्योकि मेरी बैंक का ATM लगातार रूपया  उगल रहा है और अगर पैसे ख़त्म भी होगये तो मै क्रेडिट कार्ड से प्याज़ खरीद लूँगा।  मेरी कार्ड कंपनी तो  उसको 9 आसान सी EMIs में 'जीरो परसेंट ब्याज और नो प्रोसेसिंग फी' पे कन्वर्ट भी  कर देगी , असली खेल यहाँ छुपा है।  और ये खेल  मेरी बिल्डिंग के चौकीदार को समझ नहीं आना है क्योकि उसके पास ना ATM है ना क्रेडिट कार्ड और वैसे भी  उसने तो  प्याज़ खाना उसी दिन से छोड़ दिया था जब से प्याज़ के दाम 10 रूपए किलो के ऊपर हो गये।  अब वो ये उम्मीद लगाये बैठा है कि सरकार शायद नेशनल फूड सिक्योरिटी बिल में बदलाव कर गेहूं चावल और मोटे अनाज के साथ -साथ आलू प्याज़ और सब्जियां भी 2 रूपए किलो में बाटना शुरू करदे।  जब सरकार पेट्रोल के प्यासे नौकरीपेशा लोगों को पाल सकती है तो उसका ऐसा सोचना ज़रा भी गैर-वाज़िब नहीं। 







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