Saturday, October 4, 2014

अटाला भेला होरा है बस

एक सिद्ध आत्मा से मुलाकात हुई।  एक मित्र के साथ मिलने गया था।  फक्कड़ है , बेफिक्र है और निर्विचार है ( अविचार नहीं ) इसलिए सिद्ध है।  बात निकली तो बोलने लगे " अटाला भेला करके क्या मिलेगा " ( अटाला मतलब - कचरा और भेला करके मतलब इकट्ठा करके )।  चाहे जितना जोड़ लो सब कचरा ही तो है।  साल भर जितना अटाला इकट्ठा करते है दिवाली पर घर से बहार फेक ही देते है।  जिस दिन मन की दिवाली हो गयी उसदिन सब अटाला ही लगेगा। मन लाख दुखों में डूबा है , लेकिन एक चिलम का सुट्टा , एक पेग , एक मारिजुआना का शॉट और सब गायब , अगर तकलीफे वाकई इतनी गंभीर थी तो फिर एकाएक कहाँ चली गयी , समस्याए कंही नहीं गयी , बस मन की दिवाली हो गयी और सारा अटाला बाहर हो गया।

सारी समस्याए मन की है और सब इलाज़ मन में ही छुपे है।  मन के हारे हार है मन के जीते जीत।  लेकिन ये बड़ी ही सिंप्लिस्टिक व्याख्या है मन के विकारों और मन के विचारो की , ये सिंपल नहीं है।  मन पे काबू पाना ही तो सबसे बड़ा टास्क है , सक्सेस रेट बड़ा ही कम है।  रास्ता आसान  भी नहीं। भंगार से इतना प्यार है कि छोड़ने का दिल ही नही करता।जैसे  कई लोगो की आदत होती है , बेकार की चीज़े , पुराने कपड़े , फटे जूते , अखबार की रद्दी इकट्ठा किये जाते है , दराज़ो में, अलमारियों में , ताक पे रखते जाते है।  इतना कि खुद के रहने को जगह कम पढ़ जाए लेकिन फिर भी दिल नहीं भरता 'अटाला  भेला करने से " ।  फिर एक दिन रद्दी वाले को बुलाते है और उस से किलो -किलो का भाव करते है , उसकी तराज़ू  पे शक करते है।  पुराने कपड़ो के बदले स्टील के बर्तनो का बार्टर करते है। दो सो रूपए की अखबार की रद्दी और स्टील के दो कटोरे खरीद के खुद पे गर्व करते है की देखो मैंने रद्दी बेचकर कितना कुछ हांसिल कर लिया।  अगले दिन से खाली हुए दराज़ो , अलमारियों को फिर से भरने में लग जाते है।

बस अटाला ही तो भेला हो रहा है


Thursday, August 21, 2014

।। श्री राम ।।

।। श्री राम ।।




श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नवकंज-लोचन कंज-मुख कर-कंज पद-कंजारुणं॥१॥

( ओ मन , तू करुणानिधान श्री राम चन्द्र का भजन कर , जो जन्म मरण और पुनर्जन्म के भय को हर लेते है. उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान है. मुख-हाथ और चरण भी लालकमल के सदृश हैं. )

कन्दर्प अगणित अमित छबि नवनील-नीरद सुन्दरं।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं॥२॥

( जिनकी छवि असंख्य कामदेवों और नवीन नीले बादल के जैसी अलोौकिक है, उनके शरीर का नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुंदर वर्ण है. पीताम्बर मेघरूप शरीर मे मानो बिजली के समान चमक रहा है. ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मै नमस्कार करता हू.     ) 

भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकंदनं।
रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनं॥३॥

हे मन! दीनो के बंधू, सुर्य के समान तेजस्वी , दानव और दैत्यो के वंश का समूल नाश करने वाले,आनन्दकंद, कोशल-देशरूपी आकाश मे निर्मल चंद्र्मा के समान, दशरथनंदन श्रीराम का भजन कर. ) 

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारु अंग बिभूषणं।
आजानुभुज शर-चाप-धर संग्राम-जित-खरदूषणं॥४॥


( जिनके मस्तक पर रत्नजडित मुकुट, कानो मे कुण्डल, भाल पर तिलक और प्रत्येक अंग मे सुंदर आभूषण सुशोभित हो रहे है. जिनकी भुजाए घुटनो तक लम्बी है. जो धनुष-बाण लिये हुए है. जिन्होने संग्राम मे खर-दूषण को जीत लिया है.)

इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं।
मम हृदय-कंज निवास कुरु कामादि खलदल-गंजनं॥५॥


(जो शिव, शेष और मुनियो के मन को प्रसन्न करने वाले और काम,क्रोध,लोभादि शत्रुओ का नाश करने वाले है. तुलसीदास प्रार्थना करते है कि वे श्रीरघुनाथजी मेरे ह्रदय कमल मे सदा निवास करे)

मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर सांवरो
करुना निधान सुजान शील सनेहु जानत रावरो॥६॥


(जिसमे तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से ही सुंदर सावला वर (श्रीरामचंद्रजी) तुमको मिलेगा. वह दया का खजाना और सुजान (सर्वग्य) है. तुम्हारे शील और स्नेह को जानता है )

ऐहि भांति गौरि अशीश सुनि सिये सहित हिये हर्सि अली।
तुलसि भवानिहि पुजि पुनि पुनि मुदित मन मन्दिर चली।।७।।


(इस प्रकार श्रीगौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सभी सखिया ह्रदय मे हर्सित हुई. तुलसीदासजी कहते है-भवानीजी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चली )

जानि गौरि अनुकूल, सिय हिय हरसु न जाहि कहि।
मन्जुल मंगल मूल, बाम अंग फ़रकन लगे।।


(गौरीजी को अनुकूल जानकर सीताजी के ह्रदय मे जो हरष हुआ वह कहा नही जा सकता. सुंदर मंगलो के मूल उनके बाये अंग फडकने लगे ) 

- गोस्वामी तुलसीदास जी 

ऐसा कहा जाता है कि विवाह योग्य कन्याए श्री राम की यह वंदना श्रद्धापूर्वक करे तो उन्हें सुयोग्य एवं मनवांछित  वर की प्राप्ति होती है।  अगर किसी कन्या  के विवाह में कोई व्यवधान या बाधा आ रही हो तो वह भी श्री राम की इस स्तुति से दूर हो  जाती है।  

Friday, August 15, 2014

आज़ादी

हम आज़ाद है , हम आज़ाद है
कहता है ये ज़माना
दरअसल
हम आज़ादी की गिरफ्त  में है

Sunday, August 10, 2014

God


A University professor at a well known institution of higher learning challenged his students with this question. "Did God create everything that exists?" 

A student bravely replied, "Yes he did!" 

"God created everything?" The professor asked. 

"Yes sir, he certainly did," the student replied. 

The professor answered, "If God created everything; then God created evil. And, since evil exists, and according to the principle that our works define who we are, then we can assume God is evil." 

The student became quiet and did not answer the professor's hypothetical definition. The professor, quite pleased with himself, boasted to the students that he had proven once more that the Christian faith was a myth. 

Another student raised his hand and said, "May I ask you a question, professor?" 

"Of course", replied the professor. 

The student stood up and asked, "Professor, does cold exist?" 

"What kind of question is this? Of course it exists. Have you never been cold?" 

The other students snickered at the young man's question. 

The young man replied, "In fact sir, cold does not exist. According to the laws of physics, what we consider cold is in reality the absence of heat. Every body or object is susceptible to study when it has or transmits energy, and heat is what makes a body or matter have or transmit energy. Absolute zero (-460 F) is the total absence of heat; and all matter becomes inert and incapable of reaction at that temperature. Cold does not exist. We have created this word to describe how we feel if we have no heat." 

The student continued, "Professor, does darkness exist?" 

The professor responded, "Of course it does." 

The student replied, "Once again you are wrong sir, darkness does not exist either. Darkness is in reality the absence of light. Light we can study, but not darkness. In fact, we can use Newton's prism to break white light into many colors and study the various wavelengths of each color. 

You cannot measure darkness. A simple ray of light can break into a world of darkness and illuminate it. How can you know how dark a certain space is? You measure the amount of light present. Isn't this correct? Darkness is a term used by man to describe what happens when there is no light present." 

Finally the young man asked the professor, "Sir, does evil exist?" 

Now uncertain, the professor responded, "Of course, as I have already said. We see it everyday. It is in the daily examples of man's Inhumanity to man. It is in the multitude of crime and violence everywhere in the world. These manifestations are nothing else but evil. 

To this the student replied, "Evil does not exist, sir, or at least it does not exist unto itself. Evil is simply the absence of God. It is just like darkness and cold, a word that man has created to describe the absence of God. God did not create evil. Evil is the result of what happens when man does not have God's love present in his heart. It's like the cold that comes when there is no heat, or the darkness that comes when there is no light." 

The professor sat down. 

The young man's name - Albert Einstein

Wednesday, August 6, 2014

इंग्लिश -विंग्लिश

अक्सर लोग  पूछते है की मै इंग्लिश में क्यों नहीं लिखता , और सुझाव भी देते है कि अगर मै इंग्लिश में लिखूं तो मेरा ब्लॉग ज़्यादा पढ़ा जाएगा।  बेशक सभी सही बोलते है , इंग्लिश " लिंग्वा फ्रैंका " है।  पिछले कुछ आठ दस  सालो पर गौर कीजिये , इंग्लिश और इंग्लिशपन हमारे अंदर तेज़ी से घुसा है।  "अंग्रेज़ियत " LPG ( लिब्र्लाइजेशन , प्राइविटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन ) का बाई प्रोडक्ट है , जिस से बचा नहीं जा सकता था।  जिन लोगो को अंग्रेजी का  ज्ञान भी नहीं होता वो भी अँगरेज़ होते है।  टैक्सी वाले ( जिन्हे अब कैब और कैबी कहा जाता है ) ,  सब्ज़ी की दुकान वाले , पान वाले भैय्या , खेती किसानी करने वाले, ट्रैन के अटेंडेंट्स , हवाई जहाज के  सफाई कर्मी , होटल के वेटर्स  या  कूली, आप चाहे जिसका नाम ले , सब  पर्याप्त  रूप से अंग्रेजी का  इस्तेमाल करते है।  ये अंग्रेजी समझते भी है और मोबाइल , ATM , इंटरनेट पे काम चलाऊ अंग्रेजी लिख भी लेते है।  मतलब ये की अब अंग्रेजी सिर्फ कान्वेंट एजुकेटेड या ब्लू कालर वाले पढ़े लिखे और संभ्रांत लोगो की लोगो की बपोती नहीं रही , अंग्रेजी का एक्स्पोज़र  रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में इतना ज्यादा हो  गया है कि एक औसत से भी कम बुद्धि का इंसान अगर अपने आँख और कान खोल कर जिए तो सिर्फ दो साल में बेहतरीन कामचलाऊ अंग्रेजी सीख  सकता है।  सैकड़ों शब्द  तो सिर्फ टीवी ने जोड़े दिए है हमारी 'लेक्सिकन ' में।  जैसे जैसे टेक्नोलॉजी ज़िन्दगी के  अंदर पैंठ बना रही है वैसे वैसे अंग्रेजी भी जड़े जमा रही है।  ऐसे समय में अंग्रेजी को समझने लायक  ज्ञान होना कोई बड़ी बात नहीं रही।  लेकिन सिर्फ व्यवहारिक अंग्रेजी भर आने से कोई डिप्लोमेट या ब्यूरोक्रेट नहीं  बन सकता। उसके लिए अन्ग्रेज़ी का मर्मज्ञ होना आवश्यक है , शब्दों के  और भाषा के गूढ़ अर्थ की समझ होना आवश्यक है।  अंग्रेजी वो भाषा है जो दुनिया के सभी  गैर -अंग्रेजी भाषियों  लोगो को आपस में जोड़ती है , ये भाषा पूरी दुनिया को एक कलेक्टिव प्लेटफार्म पे लाती है। ऐसे   में अंग्रेजी की गहरी  समझ नहीं होना एक कमी है। स्मार्ट फ़ोन और इंटरनेट की  भाषा में कहे तो " IAS वो प्रोग्राम्स  और एप्स है जो देश को चलाते है"। कूटनीतिक फैसले लेना , अंतराष्ट्रीय मंचो पर देश की और से 'सामूहिक सौदेबाज़ी' करना , सामरिक निर्णय लेने जैसे अनेक महत्वपूर्ण  कामोँ के लिए उच्च स्तरीय अंग्रेजी का ज्ञान होना  ज़रूरी है।  इसलिए ऐसे महत्वपूर्ण ओहदों पर नौकरी दिलाने वाली प्रक्रिया  में अंग्रेजी की तगड़ी परीक्षा ज़रूरी होना चाहिए।  मेरा ब्लॉग बिना अंग्रेजी के भी  चल सकता है , लेकिन ये देश अब बिना अंग्रेजी के नहीं चल सकता।  नेपाल में हिंदी में काम चल सकता है लेकिन अमेरिका में तो अंग्रेजी बोलना भी पढ़ेगी और धड़धड़ाती अंग्रेजी समझना भी पढ़ेगी।  ऐसे में अंग्रेजी के मर्मज्ञ अधिकारियों और नौकरशाहों की ज़रूरत होती है, काम चलाऊ अंग्रेजी जानने वालो की नहीं।  

Friday, July 4, 2014

Who is Maria Sharapova ?


विम्बलडन मैच के बाद मारिया शारापोवा से पूछा गया कि क्या उन्हें पता है कि उनका मैच देखने क्रिकेट के एक महान खिलाडी  आये थे , तो बहनजी का जवाब था " नहीं " उनसे पूछा गया कि क्या वो सचिन तेंदुलकर को जानती है तो उनका कहना था " नहीं " . 

कलेजे में आग लग गयी ये बात जानकार।  मारिया शारापोवा की जितनी उम्र नहीं है उससे ज्यादा समय से सचिन क्रिकेट खेल रहे है।  और अगर भारत में  सचिन के सारे दीवाने एक साथ मिलकर जोर से " आई लव यू सचिन " बोल दे तो मारिया शारापोवा के देश रूस तक आवाज़  पहोच जाए।  क्रिकेट के भगवान , भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को नहीं  जानने से सचिन का रुतबा कम नहीं होता।  नुकसान मारिया शारापोवा का ही है , वो जितनी ब्रांड्स एंडोर्स करती है उनकी तो भारत में लुटिया डूबी समझो।  सचिन के प्रशंसकों ने कमर कस ली है।  ये मारिया शारापोवा की एक भयंकर  गलती है। इतनी बड़ी स्पोर्ट्सवुमन होकर दुनिया के इतने बड़े स्पोर्ट्स आइकॉन को नहीं जानती।  उस सचिन को जिसका  सम्मान डेविड बेकहम , माइकल शूमाकर जैसे महानतम खिलाड़ी भी करते है।  पांचवी पास जितना सामान्य ज्ञान नहीं है ?? अगर मै वाल्दीमीर पुतिन होता तो मारिया शारापोवा को रूस से देशनिकाला दे दिया होता। दुनिया में 6 अरब से ज्यादा लोग है , जिनमे से 80 फीसदी से ज्यादा सचिन  को नहीं जानते होंगे , जानना ज़रूरी भी नहीं , लेकिन मारिया शारापोवा जैसी खिलाड़ी का अपनी ही फ्रेटर्निटी के इतने बड़े शख्स को नहीं जानना हज़म नहीं होता।  

सचिन के फेसबुक पेज को २ करोड़ से ज्यादा लोग लाइक करते है वंही मारिया शारापोवा के पेज को 1. 3 करोड़ ( उसमे से आधे लोग इसलिए करते होंगे क्योकि बहनजी दिखती अच्छी है )  . मारिया शारापोवा को इस 'गुनाह -ए -अज़ीम' के लिए भारत के लोग कभी माफ़ नहीं करेंगे।  


Tuesday, July 1, 2014

sbi INTOUCH : Selfie Banking

परिवर्तन शाश्वत है बाकी सब  परिवर्तनशील है।  अगर ज़िंदा रहना है तो खुद को बदलते रहना होगा।  ये बात जितनी इंसानो के लिए  सही है उतनी ही कंपनियों और संस्थाओं  के लिए भी।  जो खुद को बदलते ज़माने के हिसाब से नहीं बदल पाए वो इतिहास हो गए।   भारत की सबसे बड़ी और निस्संदेह सबसे भरोसेमंद बैंक " स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया "  ने समय रहते "परिवर्तनशील" रहने का ये सबक सीख लिया लगता है। विगत कुछ समय से SBI ने टेक्नोलॉजी का जिस तरह इस्तेमाल करना शुरू  किया है उससे तो यही लग रहा है। इंटरनेट बैंकिंग , मोबाइल बैंकिंग , एंड्रॉयड एप्स , इ-कार्नर , केश डिपाजिट मशीन्स , सेल्फ सर्विस कीओस्क ये कुछ ऐसे इनीशिएटिव्स है जो तकनीकी को आधार बनाकर लिए गए है।  इसी तारतम्य में आज यानी 1 जुलाई को अपने स्थापना दिवस पर SBI ने एक ऐसा इनिशिएटिव लिया है जो 207 बरस पुरानी इस बैंक को आगामी 200 बरसों तक भारत में बैंकिंग का सिरमौर बनाए रख सकता है। आज से SBI ने डिजिटल बैंकिंग ब्रांच के एक नए युग का सूत्रपात  किया है। SBI ने मुंबई , बंगलुरु , चिन्नई , दिल्ली और अहमदाबाद में अपनी 6 डिजिटल ब्रांचेज शुरू की है , डिजिटल ब्रांचेज की इस श्रंखला का नाम रखा गया है " sbi INTOUCH".   

 जिस देश की आधी आबादी 25 बरस के नीचे की उम्र की हो और जहाँ  हर नौजवान 'टच' स्क्रीन का स्मार्ट मोबाइल फ़ोन रखता हो वंहा युवा ग्राहकों से सतत 'टच' में रहने हेतु टेक्नोलॉजी ही इकलौता विकल्प है।  SBI  के डिप्टी MD श्री S K मिश्रा कहते है " InTouch" SBI  की डिजिटल यात्रा का शुभारम्भ है"।ये प्रयास है  जेन  "Y" को Brand SBI के टच में रखने का।  

" sbi INTOUCH" पर इंस्टेंट अकाउंट ओपनिंग , इंस्टेंट  पर्सनलाइज्ड डेबिट कार्ड , लोन्स के 'इन-प्रिंसिपल' अप्रूवल जैसी अनेको सुविधाए उपलब्ध रहेगी।  कुल जमा , ये बैंकिंग का वो मज़ा है जिसका अनुभव पहले कभी नहीं किया गया।  " sbi INTOUCH" में तकनीकी सहयोगी " एक्सेंचर " है जो एक नामी IT कंपनी है।  आज माननीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने दिल्ली में पहली  " sbi INTOUCH""  शाखा का उद्घाटन किया।  श्री जेटली ने इसके तुरंत बाद ट्वीट कर बताया की " sbi INTOUCH" तकनीक के सहारे उठाया गया एक सशक्त कदम है जो आज के महत्वकांशी युवाओ को केंद्र में रख के उठाया गया है। 

" sbi INTOUCH"   के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप इस लिंक को एक्सप्लोर कर सकते है   http://www.sbi.co.in/intouch/








Tuesday, June 10, 2014

'नक्सलवादी आँखे

अभी हाल ही में कुछ काम से छत्तीसगढ़ गया   था ।   पहले भी अनेको बार जाता  रहा हूँ लेकिन इस बार की अनुभूति कुछ अलग रही। जिस दिन जगदलपुर पंहुचा उस दिन आई-ट्यून्स से एक फिल्म के गाने डाउनलोड किये  एक गाने के बोल कुछ यूं थे - छप्पन छुरी छत्तीसगढ़ी  अखियाँ तेरी नक्सलवादी। बड़ा अजीब लगा ये बोल सुनकर।  'नक्सलवादी आँखे' निस्संदेह एक नया जुमला है लेकिन इस किस्म के जुमले  एग्रीगेटेड फैक्ट्स को सच्चाई मानकर चलने वाले अनेक लोगो के पूर्वाग्रह को और पुख्ता कर देते है।  जगदलपुर का  नाम सुनकर एक आम इंसान के दिमाग में बड़ी भयवाह सी तस्वीर बनती है।  घने जंगल , आदिवासी लोग सी. आर. पी. एफ. की गश्ती टुकड़ियां और बारूदी सुरंगे।  लाज़मी सी बात है क्योकि  अखबारों और अन्य मीडिया में  यही सब दिखाया जाता है  इसीलिए  हर दफे जब छत्तीसगढ़ जाता हूँ तो सब हिदायत देते है कि ज़रा सम्हाल के जाना।  इस बार मैंने भी आँखों की कुछ जोड़ियों को देखा , जो नक्सलवादी नहीं आशावादी थी।  इसके अलावा कुछ और फोटोग्राफ्स भी खीच के लाया ताकि यहाँ आके बता सकूँ की जगदलपुर अफ़ग़ानिस्तान नहीं है और न वंहा कदम कदम पे मुह पे कपडा बांधे   तालिबानी लड़ाके  घूमते है।
  









Monday, June 9, 2014

Lekar Hum Deewana Dil ( 2014) : Music Review


 ऐसा बोलते है कि आगाज़ अच्छा तो आधा काम ख़त्म।  'लेकर हम दीवाना दिल ( LHDD ) के डायरेक्टर आरिफ अली ने जब रहमान को इस फिल्म का म्यूजिक कंपोज़ करने के लिए राज़ी किया  होगा तो उनके दिमाग में भी यही बात रही  होगी। जब एक नया डायरेक्टर अपनी पहली ही फिल्म में दो एकदम नए चेहरों के साथ एक रोमकॉम बनाता है  तो  ए  आर रहमान से ज्यादा सेफ बेट ( सुरक्षित दाव ) कुछ नहीं हो सकता। LHDD में रहमान एक नए अवतार में है , जो विशुद्ध रूप से युवाओं के लिए है। ऐसे युवाओ के लिए जो संगीत को समझकर सुनने की बजाय सुनते ही थिरकना चाहते है।  जिन्हे क्लिष्ट राग-रागनियों और उम्दा सूफी शायरी की दरकार नहीं है , जिन्हे चाहिए ऐसा संगीत जो सुनते ही रगो में 'एड्रेनैलिन रश' को बढ़ा दे। ऐसा म्यूजिक जिसकी लिरिक्स 'वाट्सएपनुमा ' हो और जिसे  बिना दिमाग लगाये On the go सुना जा सके।   रहमान ने ठीक वैसा ही संगीता रचा है , और उन्हें कॉम्पलिमेंट किया है आज के दौर के सबसे बिकाऊ लिरिसिस्ट  अमिताभ भट्टाचार्य ने।  अमिताभ वो भाषा लिखते है जो आज का युवा बोलता है , इसके अलावा अमिताभ हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग लेक्सिकन लेकर आये है जो सबसे 'अलेहदा  ' है। 

 LHDD  रहमान का  एक ऐसा दुर्लभ एल्बम है जिसके लगभग सारे गाने पहली बार सुनने में ही जुबान पर चढ़ जाते है , ऐसा इसलिए है क्योकि सारे गानो को निहायत ही सरल मौसिकी   पर बनाया गया है।  रहमान ने   ' अकूस्टिक' गिटार और ड्रम्स भरपूर उपयोग किया है जिससे  कॉलेज के लोकल रॉकस्टार्स इन्हे  आसानी से आत्मसाध कर सके और उन्हें इन गानो से कंनेक्ट करने में आसानी हो।  याद कीजिये ' ३ इडियट्स ' का  ' सारी उम्र हम मर - मर के जी लिए ' ये गाना कॉलेज और होस्टल्स का ' एन्थम ' इसलिए बन गया था क्योकि  वो  गाने में  और ' अकूस्टिक' गिटार पर बजाने  में आसान था।  

 खलीफा - ये इस एल्बम की सबसे पहली रिलीस्ड ट्रैक थी।  खलीफा पुरे एल्बम का मूड सेट करती है।  बकौल रहमान ' खलीफा ' LHDD के लिए बनायीं गयी सबसे पहली ट्रैक थी जिसे अमिताभ भट्टाचार्य के साथ एक रात के जैमिंग सेशन में कंपोज़ किया गया था। गाने की शुरुवात ' श्वेता पंडित और सुज़ेन डिमेलो की ' रैप ' लिरिक्स से  होती है।  खलीफा इलेक्ट्रॉनिक बेस पर कंपोज्ड डीजेनुमा ट्रैक है।  ऐसा लगता है जैसे अनेक इंस्ट्रूमेंट्स और आवाज़ों को परत-दर -परत चढ़ाकर ये ट्रैक बनी है और इन सब लेयर्स को जो दमदार ग्लू आपस में जोड़ता है वो है रहमान की पंचम सप्तक वाली ग़मकदार आवाज़। ये गाना इस बात का सबसे सशक्त  उदाहरण है कि रहमान वाकई  तकनीकी कौशल के ' खलीफा' है।  

मालूम - मालूम कनाडा की कंठ-कोकिला  जोनिता गांधी और ह्रदय गट्टानी द्वारा गाया एक बेहद मधुर गाना  है जो  गिटार के एक खूबसूरत पीस से शुरू  होता है।  इस गाने में रहमान के रेगुलर गिटारिस्ट ' केबा ' ने ज़बरदस्त बेस दिया है।  गाना बेसिकली एक लेड बेक और कूल लड़के और एक शोख और ज़िंदादिल लड़की का ' विज़न स्टेटमेंट ' है।  इस गाने के लिए ह्रदय और जोनिता रहमान की स्वाभाविक पसंद रहे होंगे।  ह्रदय गट्टानी  रहमान के KM कॉलेज के छात्र है और इसके पहले रहमान द्वारा कंपोज्ड ए पी जे अब्दुलकलाम की कविता ' वन विज़न ' को अपनी आवाज़ दे चुके है।  उनकी आवाज़ में लड़कपन और  बेफिक्री है वंही जोनिता की आवाज़ में शोखी , ज़िंदादिली और आत्मविश्वास है , यही इस गाने का बेसिक आर्किटेक्ट है।  गाने का पहला हाफ ह्रदय गाते है और फिर सेकंड हाफ में जोनिता एक नोट ऊपर से गाते हुए इससे क्रेसेंडो तक लेकर  जाती है।  असल में इस गाने की ' रौनक ' जोनिता ही है जो एल्बम - दर -एल्बम और कॉन्सर्ट -दर -कॉन्सर्ट निखरती जा रही है।  जोनिता ने अरिजीत सिंह के साथ  ' कोच्चिड़यन ' का बेहद मधुर और कठिन गाना ' दिलचस्पियां '  भी गाया है , जो असल में रहमान के लिए उनका गाया सबसे पहला गाना था।  

अलाहदा  :  अलाहदा असल में ' उर्दू के 'अलेहदा' लफ्ज़  का  परिवर्तिति स्वरुप है।   अलेहदा का मतलब होता है जुदा , अलग।  ये एक विरह गीत है।  इस गाने के गायक शिराज़ उप्पल है जो पाकिस्तान के बेहद मक़बूल फनकार है और 2013 में आई फिल्म ' रांझणा ' का टाइटल ट्रैक गा चुके है ।  शिराज़ ने  एक कॉलेज के युवा की बेबसी और विरह से पैदा हुई चीख को निहायत ही साफगोई और शिद्दत से इस गाने में उतार दिया है।  पूरा   गाना अकूस्टिक गिटार पर एक जैसी गति से चलता है।  शिराज़ की आवाज़ सुनकर लगता है की वो एक 20 बरस के लड़के है जबकि असल में वो  13 बरस के  एक पुत्र के पिता है।  शिराज़ न सिर्फ एक अच्छे फनकार है बल्कि एक निर्मल ह्रदय के इंसान और एक ज़िम्मेदार और तरक्कीपसंद पाकिस्तानी नागरिक भी है।  ये पाकिस्तान के प्रिंट और विसुअल मीडिया में नियमित आते है और समसामयिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय भी देते है।  रहमान को अपना गुरु मानने वाले शिराज़ लाहौर में एक स्टेट ऑफ़ आर्ट रिकॉर्डिंग स्टूडियो के मालिक है। हालही में   इन्होने नीति मोह  साथ ' रेज़ा -रेज़ा ' नामका एक गाना कंपोज़ किया  है और गाया भी है  जो एक बेहतरीन ट्रैक बन पढ़ी है।  

मवाली कव्वाली : मवाली कव्वाली को कनाडा से आने वाले एक और सिंगर राघव माथुर और रहमान के लिए गाने वाली एक अत्यंत प्रतिभावान गायिका   तन्वी शाह ने  गाया है। गाने की शुरुवात तन्वी शाह की लिखी और गायी  स्पेनिश लिरिक्स से होती है उसके बाद राघव गाने को आगे ले जाते है  ।  ये एक टिपिकल टेंप्लेटाइज़्ड ए आर रहमान कम्पोजीशन है।  इस किस्म के दर्ज़नो  गाने रहमान समोसे और कचौड़ियों की तरह तल सकते है। रहमान के ऐसे गाने रिलीज़ होने के साथ ही हिट हो जाते है।  इस गाने को सुनते ही " रावण " फिल्म के 'बीरा' की याद आती है।  मवाली कव्वाली का USP है अमिताभ भट्टाचार्य की प्रयोगधर्मी लिरिक्स।  ज़रा इस पर गौर कीजिये - छप्पन छुरी छत्तीसगढ़ी अखियाँ तेरी नक्सलवादी , या फिर मवाली , बवाली , रुमाली जैसी तुगबंदियाँ।   ये एक नयी भाषा है , एक नया प्रयोग है जो फेसबुक जनरेशन को टारगेट करता है जो  अभी भी ' चार बोतल वोडका ' में झूम रही है।  बाकी गानो से अलग मवाली कव्वाली में कोर्डिंग के लिए गिटार के साथ साथ  पियानो का भी  इस्तेमाल हुआ है जो ओवरआल लिसनिंग  एक्सपीरियंस को  एलिवेट कर देता है।  मेरा अनुमान है ये पियानो रहमान ने खुद बजाया  है।  

बेक़सूर - ये गाना  आपके दिमाग और दिल में चढ़ने में सबसे ज्यादा टाइम लगाएगा।  लेकिन   ये गाना मौसिकी , शायरी और गायकी के लिहाज़ से इस एल्बम का सबसे बेहतरीन गाना है।  मेरे ख्याल से रहमान ने इस ट्रैक को कंपोज़ करने में सबसे ज़्यादा वक़्त लगाया होगा  और इसकी 'शेल्फ लाइफ' बाकी गानो से काफी ज्यादा रहने वाली है  । इस ट्रैक के हर हिस्से पे रहमान की छाप है।  इस गाने से ये भी  समझ आता है की अमिताभ भट्टाचार्य सिर्फ हिंगलिश तुगबंदियों  के ही  उस्ताद नहीं है बल्कि एक उम्दा गीतकार भी है। गाने के बोल रूहानी है और उतनी ही रुहदार है श्वेता पंडित और नकाश अज़ीज़ के आवाज़ें।  श्वेता निस्संदेह क्लासिकल गाने वाली आज के समय की सबसे उम्दा गायिका है।  उनकी आवाज़ में तालीम और रियाज़ का असर साफ़ सुनाई देता  है।  नकाश जब हाई पिच पे गाते है तो ' शान '  जैसे सुनाई पढ़ते है , उनकी गायकी पर 'शान' और 'केके' का प्रभाव झलकता है।  ये रात का  नग़मा है , जब आधी रात को कार के हॉर्न्स का शोर थम जाए तब अपनी  बालकनी  में खड़े होकर इस गाने को आई -पैड  पर सुनियेगा , रात की सारी स्याही आपकी रगो में उतर आएगी।  ये रहमान का जादू है , रहमानइश्क।  

तू शाइनिंग -  ये ड्यूरेशन के लिहाज़ से एल्बम की सबसे  छोटी  ट्रैक है।  तू शाइनिंग ' सेमेस्टर ब्रेक ' की मस्ती  और पहले प्यार की रुमानियत से सराबोर ' बॉयज़ोन ' स्टाइल  का गाना है।  गाने में ड्रम्स , विशेषकर सिंबल्स , का ज़बरदस्त यूज़ किया गया है। ह्रदय गट्टानी मुंबई के  अनप्लग्ड सर्किट में उभरता हुआ नाम है और " बॉम्बे " के ' हार्ड रॉक कैफ़े ' में इसी किस्म का फ्यूज़न गाते है इसलिए इस गाने के लिए वो सबसे ज्यादा फिट रहे होंगे।  बेस गिटार के  इस्तेमाल से गाने में ' मच डिज़ाइर्ड ' वज़न आ गया है।  इस गाने से ह्रदय के लिए भविष्य में बहोत से दरवाज़े खुलने वाले है क्योकि ये आजकल का सबसे कॉमनली यूस्ड जोनऱ है।  


LHDD  में रहमान का संगीत 2003 में आई उनकी तमिल सुपरहिट " बॉयज " की याद दिलाता है।  " बॉयज " में रहमान ने  अदनान सामी , शिराज़ उप्पल , लकी अली , कार्तिक और वसुंधरा दास जैसी उस वक़्त के उभरते गायको  को  साथ लेकर  टैंग्लिश (  तमिल और इंग्लिश ) लिरिक्स को ऐसे संगीत में पिरोया था जिसे तमिलनाडु के सारे FM रेडियो स्टेशन्स आज भी बजाते है।  LHDD के म्यूजिक से रहमान ने ये बताया है की उनमे चिन्नई का वो ' लड़का '  आज भी वैसा ही ज़िंदादिल और अल्हड़ है।  

सालों से  सेहतमंद और होलसम संगीत के आदी रहमान भक्तो के लिए ' मास्टर शेफ चिन्नई ' ने इस बार '  फ़ास्ट फ़ूड ' परोसा है।  लेकिन ये '  फ़ास्ट फ़ूड ' स्पेनिश ओलिव आइल , कैनेडियन लेट्यूस और पस्किस्तानी हलीम गोश्त से लबरेज़ है इसलिए जी भर के खाइए।  


MY VERDICT -  " छे के छे हीरे है " .
4.75/5.00






Sunday, May 11, 2014

रिश्तों की दुकानदारी

" प्लीज फ़ोन उठालो , तुम्हारी  मॉम ने एक घंटे से कॉल कर -कर के प्राण ले रक्खे है।  दो मिनट बात कर के पूछ लो ऎसी उतावली क्यो हो  रही है। और तुम  ऐसा क्या कर रहे हो इतनी देर से कंप्यूटर पे " ? 

"तुम उनको फ़ोन करके बोल दो कि मै बिज़ी हुँ , थोड़ी देर से कॉल कर लूंगा "

"लेकिन तुम ऐसा क्या   कर रहे हो यार " ?????

"मैं फेसबुक पे पोस्ट करने के लिए एक अच्छा सा " मदर्स डे " कोट गूगल कर  रहा हूँ।  "



Thursday, May 8, 2014

लेकर हम हम दीवाना दिल : Lekar Hum Deewana Dil

"लेकर हम हम दीवाना दिल" , राज कपूर की सुपुत्री रीमा कपुर ( जैन ) के सुपुत्र अरमान जैन औऱ फेमिना मिस इंडिया 2009  की फाइनलिस्ट दीक्षा सेठ ( आाजकल तेलगु फिल्मो की दीपिका पादुकोण ) की  फिल्म है।  फिल्म में जो  तीन सबसे खास बाते है  पेहली क़ि  ये सैफ आली ख़ान के द्वारा प्रोड्यूस्ड पहली फिल्म है , दूसरा क़ि  ये आरिफ अली द्वारा निर्देशित पहली फिल्म है , आरिफ अली इम्तिआज़ अली के भाई है और तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात कि इसमे ए  आऱ रहमान का म्यूजिक है।
सौजन्य : इरोज़ 
ऐसा बोला जा रहा है कि रहमान ने इस फ़िल्म में एक अलग किस्म की साउंड इज़ाद की है और ऐसा संगीत दिया हैं जो पहले कभी नहीं सुना गया।  यानी रहमान के दीवानो क़ी भरी गर्मीं मे दिवाली ओर होली  होनें वाली है।  रहमान की पिछली तीन फिल्में " जब  तक है जान " " रांझणा " और " हाईवे " संगीत की दृष्टि से उच्च कोटि की थी परन्तु फिर भी आम जनता के मन  में " रॉकस्टार " जैसा सैलाब पैदा नहीं कऱ पायी।  

"लेकर हम हम दीवाना दिल" से उम्मीद की  जा  रही है कि ये रहमान  की " रंग दे बसंती " और " जाने तू या जाने ना " वाली विरासत को  आगे बढ़ाएगी।  फिल्म 4 जुलाई को रिलीज़ होगी यानि म्यूजिक 15 मई के बाद रिलीज़ हो सकता हैं।  गानो के बोल अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखे है जो एक उभरते हुए गीतकार और गायक  है ( २ स्टेट्स का " ओफ्फो " इन्होने ही लिखा और  गाया है ) 

"लेकर हम हम दीवाना दिल" के म्यूजिक रिव्यु के लिऐ #BLAH BLAH BLOG से जुड़े रहे।  

तुम हमारे नहीं तो क्या ग़म है

तुम हमारे नहीं तो क्या ग़म है
हम तुम्हारे तो  है ये  भी क़्या कम है

हुस्न की शोख़ियाँ ज़रा देखो
गाहे शोला हैं गाहे 'शबनम' है

मुस्कुरा  दो ज़रा खुदा के लिए
शम्म -ए -मेहफिल में रोशनी  कम है

बन गया है ज़िन्दगी  अब तो
तुझसे बढ़कर हमे  तेरा ग़म है

                            - कँवर मोहिन्दर  सिंह बेदी  ( सहर )


( आज रिकॉर्ड की सुई इस ग़ज़ल पे आकर अटक गयी है जैसे )



Tuesday, May 6, 2014

ज़ेब में SBI कदमो में दुनिया


आजकल टीवी पर एक विज्ञापन आ रहा है। एक नौजवान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच की तलाश करते हुए परेशान हो रहा होता है तभी रास्ते पर खेलते कुछ बच्चे उसे हँसते हुए समझाते है कि SBI की ब्रांच उसकी जेब में है और वो उसे बाहर खोज़ कर परेशान हो  रहा है।


दरअसल ये एड SBI  की एंड्राइड आधारित इंटरनेट बैंकिंग एप्लीकेशन " स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " का है।   बहोत दिनों के बाद किसी बैंक का ऐसा बेहतरीन टीवी एड  आया हैं  जौ  इतनी आसानी और प्रभावी ढंग से अपना मैसेज कम्यूनिकेट कर देता है।

एक बात निर्विवादित है ,अगर आप इंडिया में है तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बिना काम चलाना  नामुमकिन  तो नहीं है मगर बेहद मुश्किल  हैं। अपनी ब्रांचेज़  , ATMs , e-Corners और कस्टमर सर्विस पॉइंट्स ( CSPs) को मिलाकर स्टेट बैंक के एक लाख से ज्यादा टच पॉइंट्स पऱ अपने ग्राहकों के लिए उपलब्ध है।  बावजूद इसके अगर आप स्टेट बैंक की सेवाए " ON THE GO" पाना चाहते है या फिर स्टेट बैंक को आपने स्मार्ट फ़ोन में समेटना चाहतें है तो " स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " आपके  लिए ही है।

" स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " की एप्लीकेशन  एंड्राइड 2 . 3 ( यानी जिंजर ब्रेड ) या इसके बाद के वर्शन्स के मोबाइल फोन पर काम  करती है और गूगल प्ले से इसे डाउनलोड किया  जा सकता है।  वो सारे ग्राहक जिन्होंने ट्रांज़ैक्शन्स राइट्स के साथ स्टेट बैंक की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा ले रखी हैं, अपने यूजर आईडी और पासवर्ड से " स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " का उपयोग कर  सकते है।  ध्यान रहे , गूगल प्ले के अलावा इस एप्लीकेशन को औऱ कंही से डाउनलोड ना करें।  

" स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " के बारे में ज्यादा जानकारी  आप इस लिंक पर जाकर प्राप्त  कर सकते है https://play.google.com/store/apps/details?id=com.sbi.SBIFreedomPlus

1999 में बिल गेट्स ने अपनी किताब " Business @ the speed of thought " में लिखा था "  20 साल के बाद हमें बैंकिंग की ज़रूरत तो रहेगी लेकिन बैंक और बैंक वालों की जरूरत रहे ये आवश्यक नही " .

Wednesday, April 23, 2014

थर्ड AC का डब्बा

" I just hate going to your home , पाँव में बिछिया पहनो ,सर पे पल्लू लो।  तुम्हारी माँ कितनी अजीब है यार और तुम कितने बड़े चू  हो जो मुझसे ये सब करने को फ़ोर्स करते हो " 

" यार तुम ज्यादा मत सोचो ,अगर मेरे बस में होता तो मै तुम्हारी सारी प्रॉब्लम सॉल्व कर देता "

 " प्लीज , ये सब बतोलबाज़ी मेरे सामने मत किया करो , तुमसे कुछ नहीं होना है " " और हाँ .. अगर मै ज्यादा सोचती तो तुमसे कभी शादी नहीं करती " 

Thursday, April 10, 2014

पेपरलेस वर्किंग

" हमारे सारे वेंडर्स , बिजनेस पार्टनर्स , असोसिएट्स और कस्टमर्स को एक ई -मेल करो और जिसमे उन्हें विस्तार से लिखो कि आईटी और इंटरनेट के ज़माने में पेपरलेस वर्किंग कितनी किफायतमंद है।  उन्हें ये भी बताओ की ये फास्ट भी है और कनविनिएंट भी , और ये भी कि इस से हम कागज़ों के गैर -ज़रूरी उपयोग को कम कर सकते है जिस से हम कई सारे पेड़ों को कटने से बचा सकते है  और पर्यावरण के सरंक्षण में योगदान दे सकते है   इसलिए आगे से वो सभी हमसे सारे करस्पोंडेंस और कम्युनिकेशन ई-मेल के मार्फ़त ही करें  " 

"जी सर " 

" और हाँ , इस ई -मेल  का  प्रिंट आउट निकाल कर हार्ड कॉपी फाइल कर देना और एक कॉपी मुझे भी दे देना " 

Tuesday, April 8, 2014

कन्या भोजन

बाई कल जल्दी आ जाना कल बहोत काम रहेगा  , कल नवरात्रि  का आखिरी दिन है और हमेशा कि तरह कल हमारे यहाँ कन्याओ का पूजन और भोजन का कार्यक्रम  रखा है।  तुम तो जानती ही हो न कि हम " माँ " के कितने बड़े भक्त है।  हर साल नवरात्रि में 51 कन्याओ को घर बुलाकर उनकी पूजा करते है और उन्हें खाना खिलाते है।  

लेकिन मेमसाब , मै तो कल छुट्टी लेने वाली थी , मेरी 4 साल की बेटी को बहोत तेज़ बुखार हो रहा है।  आज भी जैसे-तैसे आयी लेकिन कल तो उसे डॉक्टर को दिखाना ही पढ़ेगा।  

मेमसाब की त्योरियां चढ़ आयी और तेवर बदल गए - " तुम अपनी  बेटी को एक दिन के बाद भी   डॉक्टर को दिखा  सकती हो , एक दिन के बुखार में कोई मर नहीं जाता , नवरात्रि में कन्या भोजन का महत्व जानती हो ना ? तुम्हारी  वजह से अगर ये कार्यक्रम बिगड़ गया तो कितना पाप लगेगा तुम्हे , समझती हो तुम ?? नौकरी प्यारी है तो कल टाइम पे आ जाना।  और हाँ , खाने में जो बच जाये वो अपनी बेटी के लिए लेकर भी जाना , बीमार है न बेचारी , चना पूरी और हलवा खाकर खुश हो जाएगी।"




Saturday, April 5, 2014

जब किसी से कोई ग़िला रखना



आज इंटरनेट  पे ये तस्वीर देखी तो निदा फ़ाज़ली की ग़ज़ल का एक शेर याद आ गया।

" जब किसी से कोई ग़िला  रखना 
             सामने अपने आइना रखना " 

अबकी बार मोदी सरकार

Courtesy- Google Images 
सब्ज़ी नहीं है तो खा लेंगे अचार
अबकी बार मोदी सरकार

रागिनी MMS 2 का बिजनेस रहा ज़ोरदार
अबकी बार मोदी सरकार

एंड्रोइड से पक गए  अब है विन्डोज़ फोन की दरकार
अबकी बार मोदी सरकार

मच्छर ने काटा हुआ मलेरिया का बुखार
अबकी बार मोदी सरकार

वाल्दिमीर पुतिन ने ओबामा को दिया ललकार
अबकी बार मोदी सरकार

चिली में आया भूकम्प, मच गया हाहाकार
अबकी बार मोदी सरकार

तनीषा को हो गया अरमान कोहली से प्यार
अबकी बार मोदी सरकार


और ये है घटिया तुकबंदी की इन्तेहाँ -

15 रुपए का सवा किलो आलू और 20 का सवा किलो प्याज़
अबकी बार मोदी सरकार

और आखिरी में ये भी ( शैलजा के SMS के  सौजन्य से )

NDA सरकार में किंगफ़िशर बियर का दाम - 75 रूपए बोतल

UPA सरकार में किंगफ़िशर बियर का दाम - 105 रुपए बोतल

दारु के दाम बढ़ाने वालों , जनता तुम्हे कभी माफ़ नहीं करेगी

अबकी बार मोदी सरकार

( शैलजा 25 बरस की  युवा मतदाता है )







Tuesday, April 1, 2014

NO NO HONEY SINGH

अभी कुछ दिन पहले कि बात है , मेरी 6 वर्ष की बिटिया एक गाना गा रही थी " चार बोतल वोडका , काम मेरा रोज़का , ना मुझको कोई रोके ना मुझको कोई रोकता " ।   मैंने पूछा ये गाना कहाँ सुना तो बोली पापा ये  यो यो हनी सिंह का गाना है टीवी पे आता है।  फिर उसने एक सवाल पूछा " पापा चार बोतल वोडका का मतलब क्या होता है " ?   ये सवाल मेरी बेटी कि जगह आपके  बच्चे या बच्ची ने  आपसे पूछा होता तो आपकी कैफियत भी ठीक वही होती उस वक़्त जो मेरी  रही थी।  

यो यो हनी सिंह पिछले २-३ सालों में भारत में एक हाउसहोल्ड नाम बन गया है , इतना कि अगर कांग्रेस मनमोहन सिंह की जगह हनी सिंह को देश का पीएम बना दे तो बहोत सम्भव है कांग्रेस का पुनः भाग्योदय हो जाए।  इसका हर नंबर सुपरहिट है , और हमारे देश के बच्चो और युवाओं  के लिए ये जस्टिन बीबर का भी बाप है। यूट्यूब पे इसके विडिओ को करोडो लोग देखते है।  जिनमे से ज़्यादातर कमसिन उम्र के बच्चे होते है।  ज़रा सोचिये ये मशहूर रैपर वास्तव में कितना बड़ा खतरा है ।  देश के लाखो करोड़ों बच्चो के निर्मल मन पे कितना घातक  और दूरगामी दुष्प्रभाव छोड़ रहे है इसके " चार बोतल वोडका " टाइप के गाने।  और बात सिर्फ इसकी अश्लील गीतकारी पे ख़त्म नहीं होती , इन गानो का फिल्मांकन और चित्रण और भी ज्यादा अश्लील है। हाल ही में आयी " यारियां " नामकी फ़िल्म में इसका गाया गाना " सनी सनी " अगर आप अपने परिवार या माँ-बाप के साथ बैठके देखंगे तो मेरा दावा है 30 सेकंड में चैनल बदल देंगे।  ये गाना कम है और अधोवस्त्रों का विज्ञापन ज्यादा लगता है।  

श्री श्री 1008 श्री यो यो हनी सिंह साहब के बारे में मेरे ये विचार लोगो को, खासकर इनके युवा दीवानो को Blashphemy जैसे लग सकते है लेकिन ज़हर चाहे जितना मीठा हो हानिकारक ही होता है।  यो यो हनी सिंह जैसे गायक हमारे बच्चो और उनके मानस के दुश्मन है। 

ये फ़ोटो  भोपाल में मेरी बेटी के स्कूल से थोडा आगे बने एक मंदिर की दीवार का है।  कितना  सटीक  और सार्थक लिखा है।  विचार कीजिएगा - 

Saturday, March 22, 2014

Khushwant Singh


कंटेम्पररी भारत में ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने खुशवंत सिंह जैसा भरपूर , मुकम्मिल और बेबाक जीवन जिया होगा।  इन्होने किसी को नहीं बख्शा, महात्मा गांधी , पंडित नेहरू , अमृता शेरगिल , ज्ञानी जेलसिंह , इंदिरा गांधी , राजीव् गांधी,  लम्बी फेहरिस्त  है इनके शिकारों की।  १९८४ के सिख दंगे हो या ऑपरेशन ब्लू -स्टार इन्होने हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय दी और अपनी दमदार उपस्थिती को हर फोरम पे दर्ज़ कराया। ये ना तो ईश्वर को मानते थे न धर्म और पुनर्जीवन की बातों को, इनका धर्म लेखन था , एक बार किसी ने इनसे पूछा था कि आप लिखना कब छोड़ेंगे तो जवाब आया " Nobody has ever invented a condom for a writer's pen " ऐसे ही थे खुशवंत सिंह।  बहुत कम लोगों में माद्दा होता है अपनी नितांत निजि बातों को इतनी गरिमा से सार्वजनिक करने का जैसे इन्होने किया। खुशवंत सिंह आज   जिस भी लोक में है ,एक बात तय है या तो लेखन पठन कर  रहे होंगे या तंदूरी चिकन के साथ व्हिस्की का मज़ा ले रहे  होंगे।  

Thursday, March 13, 2014

'कास्ट' कटिंग

कॉस्ट कटिंग आजकल बज़वर्ड बन गया है।  प्रदीप मेरे ऑफिस का कैंटीन बॉय है , आज चाय पिलाने आया तो किसी ने कहा " प्रदीप चाय की क्वांटिटी आधी कर दे आजकल 'कास्ट कटिंग ' चल रही है।  प्रदीप ने तपाक से जवाब दिया " मै उसकी जगह चाय की कीमत बढ़ा दूंगा "।  
प्रदीप ने इतना कहाँ और चाय रखकर अगले डिपार्टमेंट की और बढ़ गया लेकिन प्रदीप की बात मेरे  दिमाग में ठहर गयी और  ये धारणा भी मजबूत हो गयी कि व्यवसायिक  समझदारी केवल पढ़े लिखों की बपोती नहीं होती।  प्रदीप ने जो बात एक लाइन में कही उसे लोग 2 साल के MBA या सालो की  नौकरी के बाद भी नहीं समझ पाते।  लाभप्रदता बढ़ने के लिए लागत घटाना  या खर्चे काटना  कभी लास्टिंग सोल्यूशन नहीं हो सकता , ज्यादा बेहतर है कि आमदनी बढ़ाई  जाए।  

Sunday, March 2, 2014

CLASSIFRAUDS

न्यूज़पेपर के साथ आने वाले क्लासिफाइड्स पेज को ज़्यादातर लोग रद्दी में पटक देते है। जिन लोगो को ज़मीन ज़ायदाद , विवाह सम्बन्ध जैसी  जैसी कोई स्पेसिफक ज़रूरत रहती है वो ही क्लासिफाइड्स को खंगालते है।  लेकिन कभी फुर्सत रहे तो क्लासिफाइड्स सेक्शन में झांक के देखिएगा आपके  सामान्य ज्ञान में भरपूर  इज़ाफा होगा और आपको पता चलेगा कि ऐसे अनेक मस्ले जिन्हे आप कभी  सुलझा नहीं पाये  उनका इलाज़ क्लासिफाइड्स में छुपा था । 




क्लासिफाइड्स पढ़कर ही आपको पता चलेगा कि बैंको द्वारा लोन चुकाने के लिए लगाये जा रहे तगादों से परेशान होकर किंगफ़िशर ने खुद अपना बैंक खोल लिया है जिसमे लोन पर  1 प्रतिशत ब्याज़ लगता है  और 40 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।  इसके अलावा RBI ने TATA और MAHINDRA को भी बैंक खोलने की इज़ाज़त देदी है बशर्ते वो भी किंगफ़िशर की लाइन्स पर 1 % ब्याज़ लगाये  और 40 % की छूट दें।  


क्लासिफाइड्स में उन लोगो के लिए भी खुशखबरी छिपी है जिन लोगो को रेलवे में सरकारी नौकरी की दरकार है।  रेलवे ने  अपने रिक्रूटमेंट बोर्ड्स को ख़त्म कर दिया है और तमाम नौकरियां अब इन टटपुन्जे  क्लासिफाइड्स के मार्फ़त बाटी जा रही है।  



ये क्लासिफाइड्स देश के तमाम नामी अख़बारों में रोज़ छपते है और रोज़ लाखों लोगो की नज़रों के सामने से गुज़रते है।  एक सामान्य पाठक को बेशक ये क्लासिफाइड्स भ्रामक और बेहूदा लग सकते है लेकिन वो लोग जो तकलीफशुदा है और सारे उपाय करके हार चुके है उन्हें इन क्लासिफ्राडस में भी उम्मीद की किरण नज़र आती है और ऐसे ही लोग इन क्लासिफाइड्स के चक्कर में ठगे जाते है।  मज़े कि बात है कि इन्हे पब्लिश करने वाले अखबार अंग्रेजी में एक छोटा सा नोटिस ( केवियट) डालकर अपनी ज़िम्मेदारियों से  बरी हो जाते है और फिर ठगी के शिकार लोगो के बारे में बड़ी- बड़ी न्यूज़ बनाकर पत्रकारिता धर्म का ढोंग करते है।  


और ये है सारे क्लासिफाइड्स का बाप - 





Friday, February 28, 2014

रौनक़

"रौनक " - कपिल सिब्बल की कविताओ का संकलन , जिसे ए  आर रहमान ने संगीतबद्ध किया है।  "किस्मत से"  इसका पहला ट्रैक है।  

Thursday, February 27, 2014

भोले आलू - The Humble Potatoes

भोले आलू - The Humble Potatoes 




हर - हर महादेव।   सभी को शिवरात्रि महापर्व की हार्दिक शुभकामनाये।  आज सभी शिव भक्ति में   लीन रहेंगे और सात्विक भोजन और फलाहार करेंगे।  पेश है एक ऐसी उपवासी  डिश , जो बनाने में मैगी जितनी आसान है और बेहद सात्विक और स्वादिष्ट भी।

2 लोगों की सर्विंग के हिसाब से

सामग्री -
मीडियम  साइज़ के उबले हुए आलू -6
रोस्ट की हुई  मूँगफली - 50 ग्राम
बारीक कटी हरी मिर्च - 2
शुद्ध घी - 25 ग्राम
जीरा - 1 टीस्पून
पिसी चीनी - 1 टीस्पून
नमक - स्वादानुसार ( उपवास के लिहाज़ से सेंधा नमक - Rock Salt -ज्यादा मुफीद रहता है ) 
हरा धनिया , नीबू और दही 

बनाने का तरीका -

उबले हुए आलू को मीडियम साइज़ के चौकोर टुकड़ो में काट लें।  कढ़ाई में घी डालकर , उसमे जीरा और हरी मिर्च को तड़का लें।  इसके बाद उसमे आलू डालकर धीमी आंच पर कुरकुरे होने तक रखे।  बीच -बीच में आलुओं को चलाते रहे।  जब आलू कुरकुरे होकर हल्के सुनहरे रंग के होने लगे तब उसमे मूँगफली के दानो को क्रश करके डालें और साथ में नमक पिसी चीनी डालकर एक मिनट  और चलाए।  तैयार है "भोले आलू " 

बारीक कटे हुए हरे धनिये से गार्निश करे और दही , नीबू के साथ सर्व करें।  













Wednesday, February 26, 2014

RUMI-1



Let the beauty we love be what we do.

There are hundreds of ways to kneel and kiss the ground


रूमी की लिखी ये दो पंक्तियाँ कितनी गेहरी है।  वैसे तो रूमी का पूरा साहित्य ही अलौकिक और रहस्यमय् है। मगर इन दो पंक्तियों में जो दर्शन है वो टाइम टेस्टेड है।   हमारे आसपास मौजूद हर शह खूबसूरत है , हर काम अच्छा है।  लेकिन जो भी किया जाए ,  उसे शिद्दत से किया जाए।  और वही काम  किया जाए जिसका  जूनून हो। गोयाकि जब हम वही करेंगे जिसका हमें जूनून है तो फिर हम उसमे खुद को निसार कर देंगे , झोंक देंगे और ये ठीक वैसे ही रहेगा जैसे खुदा की इबादत करना।  सजदा करना।

जिस बात को आज बड़े बड़े मेंटर्स और मैनेजमेंट थिंकर्स बोलते है वह बात रूमी आज से लगभग 800 साल पहले बोल गए। चेतन भगत के " फाइव पॉइंट समवन " और राजकुमार हीरानी की  " थ्री इडियट्स " में भी यही मेसेज था।  

बहरहाल , आज ये कविता आज  इसलिए याद आ गयी क्योकि कुछ दिनों में " रौनक़ " नाम से  कपिल सिब्बल ( वकील  एवं  राजनेता ) की लिखी कविताओ का एक म्यूजिकल एल्बम रिलीज़ होने वाला है , उसके प्रोमो के शुरू में रूमी की ये दो पंक्तियाँ दिखायी जा रही है। कपिल सिब्बल साहब ने तो जो भी काम किया है आला दर्ज़े का ही किया है।  वकील भी उच्च दर्ज़े के और राजनीतिज्ञ  भी प्रथम पंक्ति के।  निस्न्देह वो कवी भी बेहतरीन ही होंगे।  इस एल्बम को कंपोज़ ऐ आर रहमान ने किया है. 

यम मारो यम Feasible Ideaz..Funtastic Food

ये मेरे नए ब्लॉग का नाम है। इसका URL  http://foodmatics.blogspot.in है।  YMY एक Multi Admin Blog रहेगा जिस पर मै और कुछ दूसरे ऑथर्स भी अपनी पोस्ट डालेंगे।  YMY पर हम  खाने पीने से संबधित दिलचस्प जानकारियां और आसानी से बन सकने वाली रेसिपीज़ डालते रहेंगे।  

कृपया जुड़े रहिएगा।  
http://foodmatics.blogspot.in/

Tuesday, February 18, 2014

आज की स्कीम




'सोम-रस' की कविता  

मैकदे में खिचती कभी लकीर नहीं 
यहाँ कोई खादिम नहीं कोई पीर नहीं 
हम -प्याला हुए बैठे है हबीब और रक़ीब 
आस्तीनो में ख़ंजर हाथों में शमशीर नहीं 
बेफिक्री के धुंए का ग़ुबार फैला है अंधेरो में 
चेहरे पे शिकन माथे पे कोई लकीर नहीं 

- हिमांशु जोशी