फुर्सत में बैठा इंसान बिला वजह खोजी और बुद्धिजीवी होने का प्रयास करता है। आज घर में निठल्ले बैठे -बैठे पिस्ते के इस ज़िपर पाउच पर नज़र पढ़ी। ॐ मेरे आका अमेरिकन USA रोस्टेड एन साल्टेड पिस्ता
दिल्ली की किसी फर्म ने इसे इम्पोर्ट करके रीपेक किया है। बड़े ही समझदार और दूरदर्शी व्यापारी मालूम पढ़ते है। 'लास (एंजिलिस)' होने की कोई गुंजाइश ही नहीं छोड़ी। अलादीन का जिन्न अगर माल नहीं बेच सका तो शंकर भगवान के नाम से तो लोग खरीद ही लेंगे और अगर शंकरजी भी काम नहीं आये तो अमेरिका का नाम तो है ही। अमेरिका के नाम पे तो हमारे लोग सड़ी हुई 'मूमफली' को भी पिस्ता समझके खाने को तैयार रहते है। वैसे " क्या हुक्म मेरे आका " की जगह "ॐ मेरे आका" सुनना फनी सा नहीं लगता ? जैसे जिन्न वाराणसी या उज्जैन में आकर बस गया हो।
Khub kaha joshiji
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