बाई कल जल्दी आ जाना कल बहोत काम रहेगा , कल नवरात्रि का आखिरी दिन है और हमेशा कि तरह कल हमारे यहाँ कन्याओ का पूजन और भोजन का कार्यक्रम रखा है। तुम तो जानती ही हो न कि हम " माँ " के कितने बड़े भक्त है। हर साल नवरात्रि में 51 कन्याओ को घर बुलाकर उनकी पूजा करते है और उन्हें खाना खिलाते है।
लेकिन मेमसाब , मै तो कल छुट्टी लेने वाली थी , मेरी 4 साल की बेटी को बहोत तेज़ बुखार हो रहा है। आज भी जैसे-तैसे आयी लेकिन कल तो उसे डॉक्टर को दिखाना ही पढ़ेगा।
मेमसाब की त्योरियां चढ़ आयी और तेवर बदल गए - " तुम अपनी बेटी को एक दिन के बाद भी डॉक्टर को दिखा सकती हो , एक दिन के बुखार में कोई मर नहीं जाता , नवरात्रि में कन्या भोजन का महत्व जानती हो ना ? तुम्हारी वजह से अगर ये कार्यक्रम बिगड़ गया तो कितना पाप लगेगा तुम्हे , समझती हो तुम ?? नौकरी प्यारी है तो कल टाइम पे आ जाना। और हाँ , खाने में जो बच जाये वो अपनी बेटी के लिए लेकर भी जाना , बीमार है न बेचारी , चना पूरी और हलवा खाकर खुश हो जाएगी।"
dohari maansikta wala samaaj hai yeh.
ReplyDeleteऐसे लोगों को कन्या भोजन का असली मतलब कभी समझ नहीं आ सकता है।
ReplyDelete:( Dukhad par sach....
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