Tuesday, April 8, 2014

कन्या भोजन

बाई कल जल्दी आ जाना कल बहोत काम रहेगा  , कल नवरात्रि  का आखिरी दिन है और हमेशा कि तरह कल हमारे यहाँ कन्याओ का पूजन और भोजन का कार्यक्रम  रखा है।  तुम तो जानती ही हो न कि हम " माँ " के कितने बड़े भक्त है।  हर साल नवरात्रि में 51 कन्याओ को घर बुलाकर उनकी पूजा करते है और उन्हें खाना खिलाते है।  

लेकिन मेमसाब , मै तो कल छुट्टी लेने वाली थी , मेरी 4 साल की बेटी को बहोत तेज़ बुखार हो रहा है।  आज भी जैसे-तैसे आयी लेकिन कल तो उसे डॉक्टर को दिखाना ही पढ़ेगा।  

मेमसाब की त्योरियां चढ़ आयी और तेवर बदल गए - " तुम अपनी  बेटी को एक दिन के बाद भी   डॉक्टर को दिखा  सकती हो , एक दिन के बुखार में कोई मर नहीं जाता , नवरात्रि में कन्या भोजन का महत्व जानती हो ना ? तुम्हारी  वजह से अगर ये कार्यक्रम बिगड़ गया तो कितना पाप लगेगा तुम्हे , समझती हो तुम ?? नौकरी प्यारी है तो कल टाइम पे आ जाना।  और हाँ , खाने में जो बच जाये वो अपनी बेटी के लिए लेकर भी जाना , बीमार है न बेचारी , चना पूरी और हलवा खाकर खुश हो जाएगी।"




3 comments:

  1. dohari maansikta wala samaaj hai yeh.

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  2. ऐसे लोगों को कन्या भोजन का असली मतलब कभी समझ नहीं आ सकता है।

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