Wednesday, December 18, 2013

आपके कमरे में कोई रहता है

आजकल आरडी बर्मन छाए हुए है मेरे म्यूजिकल इकोसिस्टम  में। वैसे हर अच्छे कंपोजर के लिए मेरे कान खड़े ही रहते है लेकिन बीच-बीच में कभी -कभी आरडी का दौरा पढता है , सुबह शाम आरडी आरडी , और हर दौरे में कुछ नया डिस्कवर करता हूँ आरडी के बारे में।     आरडी  अपने टाइम से आगे के कंपोजर थे , स्मार्ट और प्रोग्रेसिव म्यूजिक बनाते थे। आज आरडी का एरा बीते 20 साल से भी ज्यादा होने आए लेकिन उनके बनाये गानो से हर रेडियो स्टेशन और देश के कई नामचीन RJs अपनी दुकान चला रहे है।  मेरे ख्याल से जितनी ज्यादा रीमिक्सेस आरडी के गानों कि बनी है उतनी किसी कि नहीं।   रात १० बजे के बाद आप कोई भी FM लगा लीजिये , हर स्टेशन पे " क़तरा -क़तरा मिलती है " " रोज़ रोज़ आँखों तले " " तुम आगये हो नूर आगया है " या आरडी का ही कोई गाना बजता मिलेगा। आरडी बर्मन के समकालिक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल , कल्याण जी आनन्द जी , खैय्याम, इलियाराजा , बप्पी लहरी  जैसे  असाधारण प्रतिभा के धनी  दिग्गज़  थे बाउजूद इसके आरडी ने अपने लिए एक निश् कार्व कर ली थी।  आरडी बर्मन ने  ही  हिंदी फिल्मो में  टेक्नोलॉजी बेस्ड म्यूजिक का  सूत्रपात  किया था ,  आरडी कि कम्पोज़िशंस तकनीकी  दृष्टि से उच्चकोटि कि होती थी , आप आरडी का कोई गाना एक अच्छे 5.1 ऑडियो सिस्टम में सुनिये आपको लगेगा कि ये आज के हाईटेक स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया है जबकि आरडी के गाने उस वक़्त रिकॉर्ड हुए थे जब ना तो  200  ट्रैक कंसोल होते थे , नहीं लेयर्ड रिकॉर्डिंग , ना डिजिटल रिकॉर्डिंग और ना आई-पेड रिकॉर्डिंग। आरडी अपने समय में उपलब्ध सबसे अच्छी टेक्नोलॉजी का उपयोग करते थे , इसी वजह से उनकी प्रयोगधर्मिता ज्यादा प्रभावकारी रूप में सामने आती थी।

ऐसे ही गिटार का जितना ज्यादा और जितना खूबसूरत इस्तेमाल आरडी ने किया उतना हिंदी के किसी कंपोजर ने नहीं किया। भारत में हिप्पी कल्चर को जिन जिन फैक्टर्स ने फॉस्टर किया उसमे आरडी कि गिटार बेस्ड कम्पोज़िशंस का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है।  " दम मारो दम " में  आजभी उतना ही  दम है  जितना तब था। मुझे याद है , मुझे कीबोर्ड सिंथेसाइज़र सीखने वाले मेरे सर  श्री विनोद गोलछा के यहाँ जितने भी  लोग गिटार सीखने आते थे सबकी एक प्रबल इच्छा होती थी कि सबसे पहले ' यादों कि बारात ' का " चुरा लिया है तुमने " सीखें क्योकि इस गाने के शुरू में गिटार का जो पीस है वो कातिल है और बजाने में बड़ा आसान भी है ।   आरडी के गानो में गिटार कि कॉर्ड्स एकदम इनटेन्स होती है  और स्पष्ट सुनाई देती है , गिटार की समझ रखने वाले आसानी से फिगर आउट कर लेते है कि कॉर्ड मेजर है , माइनर है, सेगमेंटेड है, बार्र्ड है  या सेवंथ है। इसीलिए गिटार सीखने वालों को आरडी के गाने या फिर  आज का सूफी रॉक ( कैलाश खेर वाला जॉनर ) बड़ा मुफीद लगता है।

आरडी बर्मन का ज़िक्र गुलज़ार के बिना अधूरा है , और गुलज़ार का ज़िक्र भी आरडी बर्मन के बिना कभी मुकम्मल नहीं होगा ।  दोनों ने मिलके हिंदी फ़िल्म म्यूजिक को जितना  समृद्ध किया और जो ऊंचाइया दी वो सब जानते है।  'आंधी ' 'घर ' 'घरोंदा ' ' परिचय ' ' मासूम ' 'खूबसूरत ' 'किनारा ' ऐसी अनेक फिल्मे है जो इन दोनों कि जुगलबंदी ने अमर कर दी है।  गुलज़ार जैसे बेलगाम और 'बेमीटर' लिरिसिस्ट को अगर किसीने  सबसे बेहतरीन ढंग से सुरों में बांधा है तो वो आरडी बर्मन ही थे।  और अब ये काम ए आर रहमान और विशाल भारद्वाज कर रहे है।  गुलज़ार कुछ भी लिख देते थे और आरडी बर्मन उस कुछ भी कि धुन बना देते थे।  इनके बारे में एक किस्सा फेमस है , एक बार गुलज़ार कुछ लिख के लाये और आरडी को उसकी धुन बनाने को कहा , आरडी ने पढ़ा और झुंझलाकर कहा  कि ये क्या  लिख के लाए हो  ?  कल से तुम टाइम्स ऑफ़ इंडिया का एडिटोरियल उठा के लेआओगे और कहोगे कंपोज़ करो !!  वो गाना था फ़िल्म 'इजाज़त ' का " मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पढ़ा है "।  

एक और बात जो आरडी बर्मन के संगीत को खास और अलग बनाती  थी वो थी उनकी खुद की गायकी , आरडी बर्मन अपने नाम " पंचम " कि मानिद पंचम सप्तक के गायक थे,  ऊँचे सुर में गाते थे।  आवाज़ में थोड़ी कर्कशता थी मगर बेसुरे नहीं  थे कभी।  " समंदर में नहा के और भी नमकीन हो गयी हो " " तुम क्या जानो मोहोब्बत क्या है " " मेहबूबा मेहबूबा " " दिल लेना खेल है दिलदार का " इन गानो में आरडी का म्यूजिक तो था ही लेकिन इन गानो का यूएसपी आरडी बर्मन की  आवाज़ थी।  आरडी बर्मन के जाने से जो वैक्यूम पैदा हो सकता था उसकी भरपाई ए आर रहमान ने कर दी।  मेरे हिसाब से रहमान आरडी 2.0 है।  वही सारे गुण।  टेक्नोलॉजी का बेमिसाल इस्तेमाल , प्रयोगधर्मिता , रेंज  और वैसी ही हटकर आवाज़।  फिल्म्फ़ेयर ने जब " आरडी बर्मन अवार्ड फॉर बेस्ट इमर्जिंग म्यूजिशियन " शुरू किया तो पहला अवार्ड एआर रहमान को ही मिला था।  





2 comments:

  1. Good to remember the great musician R D with the same words which i have heard directly from the mouth of blog writer......great sir and nice to read your blog

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  2. Good to remember the great musician R D with the same words which i have heard directly from the mouth of blog writer......great sir and nice to read your blog

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