Saturday, December 14, 2013

आप की जीत के मायने

आम आदमी पार्टी की चर्चा है हर तरफ , दिल्ली के विधान सभा चुनाव में जो करिश्मा हुआ वो वाकई हतप्रभ कर देने वाला है।  आप की जीत और अरविन्द केजरीवाल के बारे में लगातार लिखा जा रहा है।  गली के नुक्कड़ो से लेकर गांव कि चौपालों तक , पान कि दुकानो से लेकर बियर बारों तक  , आफिसों में , घरों में हर जगह आम आदमी पार्टी का गहन विश्लेषण हो रहा है, एक्सपर्ट कमेंट्स की  जा रही है।  एक परिचित  ने आज कहा कि अरविन्द केजरीवाल IRS में रहते तो 100 करोड़ कमाते , अब दिल्ली के cm बनकर 1000 करोड़ कमाने कि जुगत में है।  एक कि एक्सपर्ट कमेंट थी कि केजरीवाल बड़े बुद्धिमान इंसान है , उन्होंने अन्ना  हज़ारे के दम पर buzz क्रिएट  कि और उस buzz को वोट्स में कन्वर्ट  कर लिया।सोशल नेटवर्किंग साइट्स भरी पढ़ी है एंटी और प्रो केजरीवाल ओपिनियंस से।    देश में ज़म्हूरियत है और हर इंसान को अपने ख़यालात ज़ाहिर करने की आज़ादी है।

मै  कोई Psephologist नहीं हूँ , नाही इतना बुद्धिमान कि आम आदमी पार्टी या किसी भी राजनीतिक पार्टी की जीत या हार की  तार्किक विवेचना कर सकूँ।  फिर भी, आम आदमी पार्टी का देश के राजनीतिक क्षितिज पर आना और यूँ छा जाना मेरी नज़र में एक बड़ी घटना है , भारतीय राजनीति का बिग बेंग है।  अगर ये कारनामा आम आदमी पार्टी  की जगह किसी और ने किया होता और केजरीवाल की जगह और कोई भी रहा होता तो भी इस घटना का वही महत्व होता।  अब से पहले हमने ये सिर्फ विदेशी मुल्कों में देखा था कि कोई सफल व्यवसायी सब कुछ छोड़ कर न्यूयॉर्क का मेयर बन गया या एक औसत सा वकील 10 साल के भीतर राजनीतिक सीडियां चढ़ते हुए देश का राष्ट्रपति बन गया।  हमारे देश में सिर्फ राज्य सभा के नॉमिनेशंस में सचिन तेंदुलकर या लता मंगेशकर  राज्यसभा mp बन सकते है, अगर चुनाव लड़कर आने को कहाँ जाता  तो बहोत मुमकिन है ये लोग mp बनने से  इंकार कर देते । हमारे यहाँ राजनीती बपोती है उन सामंती पार्टियों की जिन्होंने सालो की मेहनत से खुद को राजनीति के अखाड़े में स्थापित किया है।  प्रबुद्ध एवं अभिजात वर्ग सिर्फ राजनीतिक हालत पर चिंतन एवं क्रंदन करता आया है , कभी राजनीति में उतरा नहीं।  साल दर साल उजागर होते घोटाले , एब्सर्डिटी की हद से भी नीचे जाने वाली बयानबाज़ी , भाई भतीजावाद ये सब होने के बाद भी आम इंसान सिर्फ यही सोच के रह जाता है कि हम क्या कर सकते है। साला सिस्टम ही ऐसा ही है।  

इस लिहाज़ से आम आदमी पार्टी का उदय एक मिसाल है ,  आम आदमी पार्टी ने इस सोच को पुख्ता किया है कि सिस्टम को बदला जा सकता है।  देश स्थापित राजनीतिक दलों और दलालों की मिल्कियत नहीं है।  एक साल के भीतर राजनीतिक परिद्र्श्य पर ऐसे छा जाना प्रेरित करेगा युवाओ को राजनीति की मुख्य धारा में आने को।  


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