Friday, December 6, 2013

जगजीत सिंह ज़िंदा है

मिली हवाओ में उड़ने की वो सज़ा  यारों
के मै ज़मीन के रिश्तों से कट गया यारों
मै बे-ख्याल मुसाफिर वो रास्ता यारों
कहाँ था बस में मेरे उसको रोकना यारों
मेरे कलम पे ज़माने की गर्द ऐसी थी
के अपने बारे में कुछ भी ना लिख सका यारों
तमाम शहर ही जिसकी तलाश में गुम था
मै उसके घर का पता किस से पूछता यारों। ..................... वसीम बरेलवी का कलाम है।

जगजीत सिंह ज़िंदा है।  किसी कि C ड्राइव में किसीकी E ड्राइव में किसी  की पेन ड्राइव में और बहोत सारी लॉन्ग ड्राइव्स में ।


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